Tuesday, August 21, 2018

आशीष

एक आसीरवाद आसो भी : आशीष

तू नी करs, वउं-छोरा थारी आस करs
खातs-पेsतs बढ़s, सुक-सांति सी तू मरs.
हाड़का न पs चामड़ो, पड़ी गयो ढीलो
आँसू को पूर ताळ कोर करी गयो गीलो
बूढ़ापो यो रोग आखरी, यमs दवा करs
खातs-पेsतs बढ़s, सुक-सांति सी तू मरs.
जिनगी सी आस जरा पूरी, जरा-जरा छूटी
यम को नइ भरोसो, कवं दे मऊंत की घूटी
आत्मा बोलs कि थारी मान सबइ राम पूरी करs.
खातs-पेsतs बढ़s, सुक-सांति सी तू मरs.
धन्य-धन्य यो जीव मनुस को धरती पs पायो
काइ केतरा तारा टूटी नs यो सूरज चळकायो
जुड़ी नs सत्करम उजाळो चम चम चम चमs झरs
खातs-पेsतs बढ़s, सुक-सांति सी तू मरs.
आत्मा को सत समझजे, ज्ञान की होड़ बठs
जीना काम सी आयो मनुस ऊं पुरो-पुरो पटs
देस-धरम की ज्योति होसे, रामरथ पs तू फिरs
खातs-पेsतs बढ़s, सुक-सांति सी तू मरs.
तू नी करs, वउं-छोरा थारी आस करs
खातs-पेsतs बढ़s, सुक-सांति सी तू मरs.

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ललित